मिल्खा सिंह की जीवनी / Milkha Singh Biography In Hindi
मिल्खा सिंह की जीवनी / Milkha Singh Biography In Hindi 2021 दोस्तों आपने मिल्खा सिंह के बारे में तो सुना ही होगा जिसे आज पूरी दुनिया फ्लाइंग सिख के नाम से जानती है. मिल्खा सिंह ने मोटिवेट करने का काम किया है उन्होंने युवाओं के लिए प्रेरणाओं का काम किया है. आज के इस पोस्ट में हम मिल्खा सिंह को फ्लाइंग सिख क्यों कहा जाता है.
इसके बारे में जानेंगे? इसी के साथ हम इस पोस्ट में जानेंगे कि मिल्खा सिंह ने कितनी इंटरनेशनल दौड़ में पार्टिसिपेट किया? इसी के साथ हम यह भी जानेंगे कि उन्होंने कितने सारे अवॉर्ड्स भारत के नाम करके भारत का नाम रोशन किया? हम जानेंगे कि मिल्खा सिंह का परिवार मैं कौन-कौन है? और इसी के साथ हम इस पोस्ट में यह भी जानेंगे कि मिल्खा सिंह के जीवन के ऊपर कौन सी मोटिवेशनल फिल्म बनी हुई है और उनके जीवन के ऊपर कौन सी book likhi गई है?
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मिल्खा सिंह / MILKHA SINGH
मिल्खा सिंह का जन्म 20 जनवरी 1929 में लाहौर मैं हुआ अब लाहौर पाकिस्तान में स्थित है मिल्खा सिंह के पिताजी एक किसान थे मिल्खा सिंह 15 बहन भाई है मिल्खा सिंह के प्राथमिक शिक्षा उनके गांव से 10 किलोमीटर दूर एक स्कूल में हुई यह दूरी पैदल चलकर दौड़कर पूरी करते थे भारत विभाजन के समय मिल्खा सिंह के माता पिता की हत्या उनकी आंखों के सामने कर दी गई मिल्खा सिंह यह देख कर बहुत दुखी हो गए और वह पाकिस्तान को छोड़कर भारत ट्रेन से चले आए मिल्खा सिंह भारत में दिल्ली शहर में रहने लगे दिल्ली शहर में रहते हुए कुछ समय पश्चात उन्हें अपनी बिछड़ी हुई बहन एक कैंप में मिली.
इंडियन आर्मी मी जॉइनिंग / INDIAN ARMY ME JOINING
मिल्खा सिंह ट्रेनों के साथ रेस लगाया करते थे उन्हें इंडियन आर्मी बहुत अच्छी लगती थी इंडियन आर्मी में उन्होंने कई बार कोशिश की इंडियन आर्मी में उनको तीन बार रिजेक्ट कर दिया गया था परंतु चौथी बार उनका सिलेक्शन इंडियन आर्मी में हो गया आर्मी में रेस होती रहती है और मिल्खा सिंह को रेस लगाना बहुत अच्छा लगता है मिल्खा सिंह इंडियन आर्मी में जो भी रेस होती है उसमें पार्टिसिपेट करते हैं मिल्खा सिंह ने 200 मीटर और 400 मीटर रेस में हिस्सा लिया और एक नया नेशनल रिकॉर्ड बनाया इसके बाद मिल्खा सिंह को एथलीट की ट्रेनिंग दी जाने लगी.
दौड़ / RACES
इसके बाद पटियाला में रेस में हिस्सा लिया और एक नया रिकॉर्ड बनाया सन 1956 में मेलबर्न ओलंपिक हुई इस ओलंपिक के दौरान मिल्खा सिंह को रेस लगाने का अनुभव बहुत ही कम था इसके बारे में वह इस रेस में हार गए परंतु इसके बाद मिल्खा सिंह ने रेस पर ध्यान एकत्रित किया मिल्खा सिंह जी -जान से मेहनत करें इसके बाद सन् 1958 में एशियन गेम में 200 मीटर और 400 मीटर रेस में शानदार प्रदर्शन दिखाया और वहां से गोल्ड मेडल को जीत कर लाए इसी के साथ कॉमनवेल्थ की 400 मीटर रेस में भी उन्होंने जबरदस्त प्रदर्शन दिखाया और वहां से भी गोल्ड मेडल को जीत कर लाए.
रोम ओलिंपिक / Rome olmpic
इसके बाद 1960 में रोम ओलंपिक हुआ इस ओलंपिक के दौरान मिल्खा सिंह नर्वस हो गए थे वह घबरा गए और रेस के दौरान उन्होंने पीछे मुड़कर देखा जिसके कारण वह इस रेस में पीछे रह गए और उनके साथ रेस लगा रहे थे वह आगे निकल गए और मिल्खा सिंह इस ओलंपिक में हार गए वह इस ओलंपिक में गोल्ड मेडल को भारत के नाम न ले कर इसका दुख मिल्खा सिंह को आज भी है मिल्खा सिंह ने 80 इंटरनेशनल रेस की है जिसमें से उन्होंने 77 रेस को जीता है
फ्लाइंग सिख / FLYING SIKH
मिल्खा सिंह के सामने सन 1960 में पाकिस्तान से चैलेंज आया मिल्खा सिंह पाकिस्तान नहीं जाना चाहते थे क्योंकि पाकिस्तान में भारत विभाजन के समय उनके माता पिता की हत्या कर दी गई थी परंतु उस समय के भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें समझाया कि कि वक्त हर गम को भर देता है
वहां पर जाना चाहिए पंडित जवाहरलाल नेहरू के बात को मानकर वह पाकिस्तान चले गए पाकिस्तान में उनकी रेस अब्दुल खालिक के साथ हुई इस रेस में मिल्खा सिंह ने जबरदस्त प्रदर्शन दिखाया इस रेस के दौरान पाकिस्तान की नकाबपोश औरत ने भी अपनी नकाब को हटाकर इस रेस को देखा मिल्खा सिंह ने इस रेस में जीत हासिल की पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल अयूब खान ने मिलकर मिल्खा सिंह को को सम्मानित करते हुए कहा कि आज तुम दौड़े नहीं उड़े हो पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने ही मिल्खा सिंह को फ्लाइंग सिख की उपाधि दी.
फिल्म / FILM
मिल्खा सिंह के ऊपर भाग मिल्खा भाग एक मोटिवेशनल फिल्म भी बनाई गई है मिल्खा सिंह के पिताजी की हत्या के दौरान मिल्खा सिंह के पिताजी ने उनको कहा था कि भाग मिल्खा भाग मिल्खा सिंह के पिताजी की कह गए इन शब्दों पर ही यह फिल्म बनाई गई है इस फिल्म के डायरेक्टर ओम प्रकाश मेहरा है.
पुस्तक / BOOK
मिल्खा सिंह के जीवन की किताब लिखी गई है जिसका नाम दी रेस ऑफ माय लाइफ है मिल्खा सिंह की मुलाकात सन 1960 में मिलकर निर्मला कोर से हुई 2 साल बाद उनकी शादी हो गई मिल्खा सिंह का एक बेटा जिसका नाम जीत सिंह मिलता है है और मिल्खा सिंह की तीन बेटियां हैं.
पुरस्कार / AWARD
मिल्खा सिंह को सन 1983 में पदम श्री से सम्मानित किया गया मिल्खा सिंह के सभी अवॉर्ड्स को पहले दिल्ली में रखा गया था परंतु अब पटियाला में रखा गया.
मृत्यु / death
मिल्खा सिंह की मृत्यु कोविड-19 के कारण 18 जून 2021 में पंजाब के राजधानी चंडीगढ़ में देर रात में भी हुई भारत में ही ना पूरी दुनिया में नाम रोशन करने वाले मिल्खा सिंह की मृत्यु पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने और भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी दुख प्रकट किया है मिल्खा सिंह की मृत्यु से कुछ दिन पहले ही मिल्खा सिंह की पत्नी निर्मला कौर की मृत्यु भी कोविड-19 के कारण हुई थी . मिल्खा सिंह एथलीट थे मिल्खा सिंह का जीवन सभी के लिए प्रेरणादायक है उनकी मृत्यु पर सभी देशवासियों को बहुत दुख हुआ.
इच्छा / DESIRE
मिल्खा सिंह ने सन 1960 रोम ओलंपिक में गोल्ड मेडल को भारत के नाम न कर पाने का दुख आज भी है मिल्खा सिंह ने सवा सौ देशवासियों से यह इच्छा जाहिर की है कि जो रोम ओलंपिक वह गोल्ड मेडल जीत रह सके वह भारत का कोई बंदा इस गोल्ड मेडल को जीतकर भारत का नाम रोशन करें.
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